26/02/08

तिब्बत : उदय प्रकाश (१९८१/केदारनाथ सिंह)

१९५२ में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के गाँव सीतापुर में। बाद में एक कथाकार के रूप में भी ख्याति। प्रकाशित कृतियों में सुनो कारीगर, अबूतर कबूतर और रात में हारमोनियम (कविता), दरियाई घोडा, तिरिछ, और अंत में प्रार्थना, पॉल गोमर का स्कूटर, पीली छतरी वाली लडकी, मोहन दास (कहानी), कला अनुभव, इंदिरा गाँधी की आखिरी लड़ाई, रोम्या रोलां का भारत (अनुवाद)। ओम प्रकाश साहित्य सम्मान (१९८२), श्रीकांत वर्मा पुरस्कार (१९८९), मुक्तिबोध पुरस्कार (१९९४), सद्भावना पुरस्कार (१९९७)। बाद के वर्षों में फ़िल्म निर्माण में भी। जयपुर दूरदर्शन के लिए बिज्जी की कहानियो पर एक श्रृंखला का निर्माण। दिल्ली में रहते हैं और आजकल www.uday-prakash.blogspot.com पे भी लिखते है.


निर्णायक केदारनाथ सिंह का मत: तिब्बत कविता में एक ख़ास किस्म की नवीनता है। हमारे समय की वास्तविकता का जो पहलू इस कविता में उभरा है, वह पहले कभी नहीं पाया गया। कलात्मक प्रौढ़ता और ताज़गी के अतिरिक्त इसमे एक ख़ास तरह का अनुशासन भी है। राजनितिक विषय पर राजनितिक ढंग से अभिव्यक्ति करना उदय प्रकाश की विशेषता है। इस कविता के अंत में तिब्बत का बार बार दोहराना मंत्र जैसा प्रभाव पैदा करता है।


तिब्बत


तिब्बत से आए हुए
लामा घूमते रहते हैं
आजकल
मंत्र बुदाबुदाते

उनके खच्चरों के झुण्ड
बगीचों में उतरते हैं
गेंदें के पौधों को नहीं चरते

गेंदे के एक फूल में
कितने फूल होते हैं
पापा ?

तिब्बत में बरसात
जब होती है
तब हम किस मौसम में
होते हैं?

तिब्बत में जब बजते हैं
तब हम किस समय में
होते हैं ?

तिब्बत में
गेंदे के फूल होते हैं
क्या पापा?

लामा शंख बजाते हैं, पापा?

पापा,
लामाओं को
कम्बल ओढ़कर
अंधेरे में
तेज तेज चलते हुए देखा है
कभी?

जब लोग मर जाते हैं
तब उनकी कब्र के चारों ओर
सिर झुका कर
खड़े हो जाते हैं लामा
वे मंत्र नहीं पढ़ते।

वे फुसफुसाते हैं - तिब्बत
तिब्बत-तिब्बत
तिब्बत-तिब्बत
तिब्बत-तिब्बत
और रोते रहते हैं
रात भर ।

क्या लामा
हमारी तरह ही
रोते हैं, पापा?

2 comments:

सुशीला पुरी said...

कितनी खुबसूरत है ये कविता !!!!

Wahida Qureshi. Actress & samixhak. Writer said...

Tibbat ko samjhna chahti hu .exam time he. Saarans chahiye tha