26/02/08

उर्वर प्रदेश : अरुण कमल (१९८०/अशोक वाजपेयी)

१५ फरवरी १९५४ को नासरीगंज, रोहतास (बिहार) में जन्म। कविता की प्रकाशित पुस्तकों में अपनी केवल धार (१९८०), सबूत (१९८९), नए इलाके में (१९९६) शामिल। कविता पर विचार की एक पुस्तक कविता और समय (१९९८) भी प्रकाशित। वियतनामी कवि तो हू की कविताओं-टिप्पणियों के अनुवाद पुस्तकाकार तथा अंग्रेज़ी में वायसेज़ नाम से एक किताब। १९९८ का सहित अकादेमी पुरस्कार नए इलाके में के लिए। पटना विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी पढाते हैं।

उर्वर प्रदेश को १९८० में पहला पुरस्कार देते हुए निर्णायक अशोक वाजपेयी का मत था: सूक्ष्म अंतर्दृष्टि, संयत कला अनुशासन, और आत्मीयता।


उर्वर प्रदेश



मैं जब लौटा तो देखा
पोटली में बंधे हुए बूटों ने
फेंके हैं अंकुर
दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
अजीब गंध है घर में
किताबों, कपडों और निर्ज़न हवा की
फेंटी हुई गंध

पड़ी है चारों और धूल की एक पर्त
और जकडा है जग में बासी जल
जीवन की कितनी यात्राएं करता रहा यह निर्जन मकान
मेरे साथ।

तट की तरह स्थिर,पर गतियों से भरा
सहता जल का समस्त कोलाहल -
सूख गए हैं नीम के दातौन
और पोटली में बंधे हुए बूटों ने फेंके है अंकुर
निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
पोसते रहे ये अंकुर

खोलता हूँ खिड़कियाँ
और चारों ओर से दौड़ती है हवा
मानो इसी इंतज़ार में खड़ी थी पल्लों से सट के
पूरे घर को जल-भरी तसली सा हिलाती

मुझसे बाहर
मुझसे अनजान जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
बदल रहा है सारा संसार

आज मैं लौटा हूँ अपने घर
दो दिनों के बाद
आज घूमती पृथ्वी के अक्ष पर
फैला है सामने निर्जन प्रान्त का उर्वर प्रदेश
सामने है पोखर अपनी छाती पर
जल्कुम्भियों का घना संसार भरे।

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